दक्षिण मुंबई स्थित राष्ट्रीय कला प्रदर्शन केंद्र (एनसीपीए) में रतन टाटा को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए शोक संतप्त लोगों का तांता लगा रहा।
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन
दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का गुरुवार शाम पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 86 वर्षीय टाटा ने बुधवार रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। कारोबारी दिग्गज को श्रद्धांजलि देने वालों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल और उद्योगपति मुकेश अंबानी शामिल हैं।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रस्ताव दिया है कि टाटा को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाए । राज्य स्तर पर स्वीकृत इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। महाराष्ट्र और गुजरात सरकारों ने प्रतिष्ठित उद्योगपति को श्रद्धांजलि देने के लिए एक दिन का शोक घोषित किया है।
2000 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण प्राप्त करने के बाद, 2008 में टाटा को भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला। वे 1961 में टाटा से जुड़े, जहाँ उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया। बाद में वे 1991 में जेआरडी टाटा के सेवानिवृत्त होने पर टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में सफल हुए। उनके कार्यकाल के दौरान, टाटा समूह ने टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस का अधिग्रहण किया, ताकि टाटा को एक बड़े पैमाने पर भारत-केंद्रित समूह से वैश्विक व्यवसाय में बदला जा सके।
किस बीमारी से थे पीड़ित?
जानकारी के अनुसार रतन टाटा का ब्लड प्रेशर डाउन हो गया था, लो बीपी के चलते उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. शारुख अस्पी गोलवाला की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था हालांकि उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ. बढ़ती उम्र के कारण डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. जानकारी के अनुसार लो ब्लड प्रेशर के कारण वो हाइपोटेंशन से पीड़ित थे. जिसके कारण शरीर के कई अंग ने काम करना बंद कर दिया था. बुजुर्गों में इससे अधिक समस्या होती है. जानकारी के अनुसार उनके शरीर में डिहाइड्रेशन की भी समस्या हो गयी थी.
सादगीपूर्ण जीवन के लिए दुनिया हमेशा करेगी याद
रतन टाटा दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे, फिर भी वह कभी अरबपतियों की किसी सूची में नजर नहीं आए. उनके पास 30 से ज्यादा कंपनियां थीं जो छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में फैली थीं, इसके बावजूद वह एक सादगीपूर्ण जीवन जीते थे.रतन नवल टाटा का बुधवार रात को 86 वर्ष की आयु में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. सरल व्यक्तितत्व के धनी टाटा एक कॉरपोरेट दिग्गज थे, जिन्होंने अपनी शालीनता और ईमानदारी के बूते एक अलग तरह की छवि बनाई थी. रतन टाटा 1962 में कॉर्नेल विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क से वास्तुकला में बी.एस. की डिग्री प्राप्त करने के बाद पारिवारिक कंपनी में शामिल हो गए. उन्होंने शुरुआत में एक कंपनी में काम किया और टाटा समूह के कई व्यवसायों में अनुभव प्राप्त किया, जिसके बाद 1971 में उन्हें (समूह की एक फर्म) ‘नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी’ का प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया.