India Employment Report – भारत रोजगार रिपोर्ट 2024

India Employment Report 2024

26 मार्च 2024,को इंटरनेशनल लेबर संगठन (ILO) और मानव विकास संस्थान (IHD) द्वारा जारी भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 के अनुसार भारत में बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा वाले लोगों की हिस्सेदारी 2000 में 35.2% से बढ़ कर वर्ष 2022 में 65.7% हो गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 नई दिल्ली के मानव विकास संस्थान (IHD) के रोजगार अध्ययन केंद्र और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के संयुक्त तत्वावधान में तैयार गई है।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में बेरोजगारों में 83% युवा बेरोजगार है। 
  • यह बेरोजगारी युवाओं, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में शिक्षित युवाओं और महिलाओं के बीच केंद्रित रही है। 
  • वर्ष 2022 में कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9 प्रतिशत थी।
  • सभी बेरोजगार लोगों में शिक्षित युवाओं की हिस्सेदारी वर्ष 2000 में 54.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022 में 65.7 प्रतिशत हो गई।
  • शिक्षित बेरोजगार युवाओं (माध्यमिक स्तर या उच्च शिक्षा वाले) में पुरुषों (62.2 प्रतिशत) की तुलना में महिलाओं की हिस्सेदारी अधिक (76.7 प्रतिशत) है।
  • वर्ष 2000 और वर्ष 2019 के बीच युवा रोजगार और अल्परोजगार में वृद्धि हुई है, लेकिन महामारी के वर्षों के दौरान इसमें गिरावट आई है, जिसमें शिक्षित युवाओं में इस अवधि के दौरान देश में बेरोजगारी उच्च स्तर पर रही।
  • इस अध्ययन रिपोर्ट  में कहा गया है कि श्रम बल भागीदारी दर (LFPR), श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) और बेरोजगारी दर (UR) में वर्ष 2000 और वर्ष 2018 के बीच दीर्घकालिक गिरावट देखी गई, लेकिन वर्ष 2019 के बाद सुधार देखा गया।


विरोधाभासी सुधार (Paradoxical improvements)

  • इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में भारत के श्रम बाजार संकेतकों में कुछ विरोधाभासी सुधार देखे गए हैं, जबकि देश में रोजगार की स्थिति की बुनियादी दीर्घकालिक विशेषता गैर-कृषि क्षेत्रों की अपर्याप्त वृद्धि की क्षमता बनी हुई है।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 से पहले विभिन्न अवधियों में गैर-कृषि रोजगार कृषि रोजगार की तुलना में अधिक दर से बढ़ा है।
  •  कृषि से श्रम मुख्य रूप से निर्माण और सेवा क्षेत्रों में नियोजित हुआ।
  • लगभग 90% श्रमिक अनौपचारिक काम में लगे हैं, जबकि नियमित कार्य  का हिस्सा वर्ष 2000 के बाद लगातार बढ़ा है और वर्ष 2018 के बाद कम हुआ।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार ठेकेदारी प्रथा में वृद्धि हुई है, केवल कुछ प्रतिशत नियमित कर्मचारी ही दीर्घकालिक अनुबंधों के दायरे में आते हैं।
  • इस रिपोर्ट के अनुसार में कहा गया है कि युवाओं के पास कार्य करने का कौशल नहीं है जिसमें 75% युवा ईमेल भेजने में असमर्थ हैं, 60% फ़ाइलों को कॉपी एवं  पेस्ट करने में असमर्थ हैं और 90% युवा कार्यबल को गणितीय सूत्र को स्प्रेडशीट में कॉपी और पेस्ट करने में असमर्थ हैं।

लिंग भेद का बढ़ना (Widening gender gap)

  • महिला श्रम बल भागीदारी की कम दर के साथ देश श्रम बाजार में पर्याप्त लिंग अंतर की चुनौती का भी सामना कर रहा है।
  • रिपोर्ट के अनुसार युवा महिलाओं, खासकर जो उच्च शिक्षित हैं, के बीच बेरोजगारी की चुनौती बहुत बड़ी है।
  • इस रिपोर्ट में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वालों में गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसरों की कमी दर्ज की गई।
  • ‘कई उच्च शिक्षित युवा वर्तमान में उपलब्ध कम वेतन वाली, असुरक्षित नौकरियों को लेने के इच्छुक नहीं हैं और भविष्य में बेहतर रोजगार हासिल करने की उम्मीद में इंतजार करना पसंद करतें हैं।

सामाजिक असमानता

  • बढ़ती सामाजिक असमानताओं पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि सकारात्मक कार्रवाई और लक्षित नीतियों के बावजूद, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अभी भी बेहतर नौकरियों तक पहुंच के मामले में पीछे हैं।
  •  इस रिपोर्ट के अनुसार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आर्थिक आवश्यकता के कारण कार्य में अधिक भागीदारी है, लेकिन वे कम वेतन वाले अस्थायी आकस्मिक वेतन वाले काम और अनौपचारिक रोजगार में अधिक लगे हुए हैं।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी समूहों के बीच शैक्षिक उपलब्धि में सुधार के बावजूद सामाजिक समूहों के भीतर पदानुक्रम कायम है।

सुझाव:

  • रोजगार सृजन को बढ़ावा देना
  • रोजगार की गुणवत्ता में सुधार
  • श्रम बाजार की असमानताओं को संबोधित करना
  • कौशल और सक्रिय श्रम बाजार नीतियों को मजबूत करना
  • श्रम बाजार पैटर्न और युवा रोजगार पर ज्ञान की कमी को पूरा करना

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