वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण

  • वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को होगा। 
  • यह आदित्य एल 1 के लिए प्राकृतिक रूप से सूर्यग्रहण के अध्ययन का पहला अवसर होगा।

इस सूर्य ग्रहण में क्या है विशेष:

  • इस पूर्ण सूर्यग्रहण को ग्रेट नार्थ अमेरिकन सोलर एक्लिप्स नाम दिया गया है।
  • ग्रहण का पाथ उत्तरी अमेरिका से शुरू होगा
    • यह मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका व कनाडा में नजर आएगा।
    • यह दुर्लभ सूर्यग्रहण 54 वर्ष बाद इस क्षेत्र में नजर आने वाला है।
    • इसके बाद यह संयोग वर्ष 2078 में बनेगा।
    • यह दुर्लभ घटना भारत में देखने को नहीं मिल पाएगी।
  • यह दोपहर लगभग 02:15 बजे शुरू होगा और 02:25 मिनट तक रहेगा
    • इस बीच 7.5 मिनट के लिए अंधेरा छा जाएगा।

यह सूर्यग्रहण ISRO के लिए कैसे महत्वपूर्ण है?

  • यह आदित्य एल 1 का प्राकृतिक रूप से सूर्यग्रहण के अध्ययन का पहला अवसर होगा।
  • आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज की टीम संयुक्त राज्य अमेरिका से इसका अध्ययन करेगी  
  • इस घटना की तस्वीरों को आदित्य एल 1 से प्राप्त तस्वीरों के साथ मिलान किया जाएगा।
    • दोनों तस्वीरों में का अंतर का आकलन किया जाएगा
    • जमीनी व आसमानी (लैग्रेंज 1) अध्ययन में अंतर को देखा जाएगा
    • इससे सूर्य के कोरोना के कई रहस्य सामने आ सकते है।

सूर्य का कोरोना

  • सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग है।
  • यह सूर्य की सतह की चमकदार रोशनी से छिपा रहता है।
  • इससे विशेष उपकरणों के उपयोग के बिना देखना कठिन होता है।   
  • कोरोना को पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान आसानी से देखा जा सकता है।

लैग्रेंज बिंदु-1:

  • लैग्रेंज बिंदु दो अंतरिक्ष निकायों के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण आकर्षण एवं प्रतिकर्षण का क्षेत्र उत्पन्न होता है।
  • इनका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा अपनी स्थिति बरकरार रखने के लिए किया जा सकता है।
  • लैग्रेंज-1 (L1) पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के ऑर्बिट में स्थित पाँच बिंदुओं में से एक है।
  • L1 पर स्थित कोई उपग्रह अपनी विशिष्ट स्थिति के कारण अनेक बाधाओं के बावजूद सूर्य को निरंतर देखने में सक्षम होता है।

कैसे होता है सूर्य ग्रहण

  • जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्‍वी एक सीढ़ी रेखा में हों
  • चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में हो 
  • चंद्रमा कुछ समय के लिए सूर्य के प्रकाश को ढंक ले
  • प्रकाश पृथ्‍वी तक न पहुँच पाए
  • कुछ समय के लिए पृथ्वी के क्षेत्र विशेष में अंधेरा छा जाए

सूर्य ग्रहण के प्रकार

1. पूर्ण सूर्य ग्रहण:

  • पूर्ण सूर्य ग्रहण एक दुर्लभ खगोलीय घटना है।
  • इसमें सूर्य पूरी तरह से ढक जाता है।

2. आंशिक सूर्य ग्रहण:

  • सूर्य का सिर्फ कुछ भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है।
  • चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है।

3. वलयाकार सूर्य ग्रहण:

  • जब चन्द्रमा पृथ्वी के अधिक दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है।
  • चन्द्रमा सूर्य के केवल मध्य भाग को ही ढक पाता है।

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