भारत में आवासीय क्षेत्र का ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में सर्वाधिक योगदान

भारत में आवासीय क्षेत्र का ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में सर्वाधिक योगदान
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हाल ही में किये गए एक अध्ययन में, भारत में आवासीय क्षेत्र का ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में सर्वाधिक योगदान पाया गया है।

प्रमुख बिंदु :-

  • वर्ष 2016 में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में ब्लैक कार्बन उत्सर्जन करने वाले क्षेत्र :-
    • आवासीय क्षेत्र का योगदान 47% है। 
    • उद्योगों का योगदान 22% है। 
    • डीजल वाहनों का योगदान 17% है। 
    • खुले में आग का योगदान 12% है। 
    • अन्य स्रोतों का योगदान 2% है। 
  • पिछले दशक में उद्योग और परिवहन क्षेत्रों में डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों से ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है, लेकिन आवासीय क्षेत्र एक चुनौती बना हुआ है।

ब्लैक कार्बन (BC):-

  • यह एक काला, कालिखयुक्त कणिकीय पदार्थ है, जो बायोमास और जीवाश्म ईंधन के पूरी तरह से दहन नहीं होने पर अन्य प्रदूषकों के साथ उत्सर्जित होता है।
  • यह एक अल्पकालिक प्रदूषक है। 
  • यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के बाद पृथ्वी को गर्म करने में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्त्ता है।
  • यह ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि में, जलवायु परिवर्तन में, ग्लेशियर के पिघलने में योगदान देता है।
  • इससे हृदय रोग, जन्म संबंधी जटिलताओं और समय से पहले मृत्यु के उच्च जोखिम आदि की संभावना बनी रहती है। 
  • भारत में अधिकांश ब्लैक कार्बन उत्सर्जन पारंपरिक चूल्हों में गाय के गोबर या पुआल जैसे बायोमास जलाने से होता है।

ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए भारत सरकार द्वरा किये जा रहे प्रयास:- 

  • प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY):-
  • भारत सरकार ने ब्लैक कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिए मई 2016 में, प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) प्रारम्भ की।
  • इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को मुफ्त तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) कनेक्शन प्रदान किया गया। 
  • इसका प्राथमिक उद्देश्य : ग्रामीण और गरीब परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन उपलब्ध कराना और पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन पर उनकी निर्भरता को कम करना है। 
  • यह कार्यक्रम ब्लैक कार्बन उत्सर्जन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है, क्योंकि यह पारंपरिक ईंधन खपत के लिए एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है। 
  • इस कार्यक्रम ने जनवरी 2024 तक 10 करोड़ से अधिक घरों को कनेक्शन प्रदान किया है।

कार्बन :- 

  • कार्बन शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के कार्बो शब्द से हुई है, जिसका अर्थ कोयला या चारकोल होता है।
  • यह परमाणु संख्या 6 के साथ और आवर्त सारणी में प्रतीक ‘C’  द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।  
  • कार्बन सभी सजीव एवं निर्जीव संरचनाओं में पायी जाती है। 
  • भूपर्पटी तथा वायुमंडल में अत्यंत अल्प मात्रा में कार्बन पायी जाती है। 
  • भूपर्पटी में खनिजों (जैसे- कार्बोनेट, हाइड्रोजनकार्बोनेट, कोयला एवं पेट्रोलियम) के रूप में केवल 0.02% कार्बन उपस्थित है तथा वायुमंडल में 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड उपस्थित है।
    कार्बन उन तत्वों में से एक है जो अपरूपता दर्शाता है। 
  • कार्बन के अपररूप या तो अनाकार या क्रिस्टलीय (डायमंड, ग्रेफाइट) होते हैं।
  • कार्बन, परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्थाओं या समन्वय संख्या रखने की अपनी क्षमता के कारण, कार्बन उन तत्वों में आता है जिनके कई संख्या में एलोट्रोपिक रूप होते हैं। 

कार्बन के अपररूप :-

  • हीरा: –
    • यह एक अत्यंत कठोर, पारदर्शी क्रिस्टल है।
    • इसमें कार्बन परमाणु टेट्राहेड्रल जाली में व्यवस्थित होते हैं। 
    • कार्बन का यह अपरूप एक ख़राब विद्युत चालक और एक उत्कृष्ट तापीय चालक है।
  • ग्राफीन:–  यह अन्य एलोट्रोप्स, नैनोट्यूब, चारकोल और फुलरीन का मूल संरचनात्मक तत्व है।
  • ग्रेफाइट:– यह मुलायम, काला, परतदार ठोस, मध्यम विद्युत चालक है। 

सीसा:-

  • यह कार्बन का शुद्ध रूप है। कार्बन का यह अपररूप कार्बन परमाणुओं की सपाट द्वि-आयामी परतों से बना होता है। 

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