मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के छापे के बाद जिस तरह सोने और कैश का बड़ा भंडार मिला है, उसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी ऐक्शन में है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर के खिलाफ केस (ECIR) दर्ज कर लिया है। सौरभ शर्मा के खिलाफ छापेमारी में अब तक करीब 300 किलो सोना-चांदी, 10 करोड़ से अधिक कैश की बरामदगी हो चुकी है। एक डायरी भी सामने आई है जिसमें हर साल करीब 100 करोड़ रुपए हेराफेरी का हिसाब-किताब दर्ज बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के घर से सोनें चांदी की ईंटें बरामद हुईं और काफी संख्या में कैश मिले। अब ईडी उसकी संपत्ति की जांच करने के लिए केस दर्ज किया है।
भोपाल में तीन दिन पहले लोकायुक्त टीम ने पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर पर छापा मारकर 7.98 करोड़ रुपये नगद, कार, सोने और हीरे के आभूषण, सोने चांदी की ईंटें , कई संपत्तियों के दस्तावेज बरामद किया था। ठीक इससे पहले उसी दिन इनकम टैक्स की टीम ने जंगल में एक लावारिस कार से 52 किलो सोने के बिस्किटों समेत 10 करोड़ रुपये नगद बरामद किए थे। सोने के बिस्किटों की कीमत 40 करोड़ रुपये बताई जा रही है। अब सौरभ शर्मा के खिलाफ ईडी ने केस दर्ज किया है और अब ईडी उसकी संपत्ति की जांच करेगी।
मिली है 100 करोड़ी डायरी
कांस्टेबल सौरभ शर्मा की नौकरी के अभी सात साल ही हुए हैं। उसकी दोस्त की कार से 54 किलो सोना और 10 करोड़ की नगदी मिली थी। शुक्रवार को भोपाल के मेंडोरी में सौरभ के राजदार चेतन सिंह गौड़ की कार से सौरभ की काली कमाई से जुड़ी डायरी भी मिली थी। डायरी में परिवहन विभाग के पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के आरटीओ अधिकारियों और नेताओं को हर महीने पैसे देने का हिसाब किताब दर्ज है।सौरभ शर्मा के सहयोगी चेतन सिंह गौर से लंबी पूछताछ और डेढ़ सौ पन्नों में बयान दर्ज किया गया है। जब्त दस्तावेज और सूत्रों के मुताबिक एक साल में सौरभ करीब 100 करोड रुपए से ज्यादा की ब्लैक मनी को इधर-उधर कर चुका है।
काली डायरी खोलेगी राज
डायरी में दर्ज प्रदेश के 52 जिलों के आरटीओ हर महीने कितनी रकम पहुंचते थे उस तक, चेक पोस्टों पर होने वाली काली कमाई का भी जिक्र उस 100 करोड़ी डायरी में दर्ज है। हर आरटीओ और चेक पोस्टों से होने वाली कमाई के पैसों को अधिकारियों और नेताओं तक पहुंचाने का जिक्र भी डायरी में किया गया है। सौरभ ने काली कमाई का बड़ा हिस्सा अपने राजदार चेतन सिंह के जरिए छुपाया था। अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी लिए चेतन सिंह के नाम से मछली पालन के ठेके लिए, अपनी मां और पत्नी के नाम से जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी ली थी।
रोज हो रहे हैं नए खुलासे
आरटीओ के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा मामले में रोज़ नए खुलासे हो रहे हैं जो लोकायुक्त और इनकम टैक्स के छापों को एक नई दिशा दे रहे हैं।अब इन छापों के पहले 15 दिसंबर का एक सीसीटीवी वीडियो सामने आया है जिसमें एक कथित सफ़ेद रंग की इनोवा उसी घर से निकलते हुए दिख रही है जहां 19 दिसंबर को लोकायुक्त ने छापा मारा था। बता दें कि लोकायुक्त ने अरेरा कॉलोनी के मकान नंबर E-7/657 पर छापा मारकर 234 किलो चांदी, 1 करोड़ 72 लाख कैश और करीब 30 लाख का सामान जब्त किया है। लोकायुक्त के मुताबिक यह मकान चेतन गौड़ के नाम से है जिसे सौरभ शर्मा के दफ्तर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।
मामले मे हुई ईडी की एंट्री
अब इस मामले में ईडी की एंट्री हो गई है। डायरेक्टरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) भी सोने के बिस्किट का सोर्स तलाशने में जुटा। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने सौरभ शर्मा और चेतन सिंह गौर के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग के तहत दर्ज किया केस। लोकायुक्त के छापे के दौरान 52 किलो सोने की बिस्किट कार से हुए थे बरामद। जांच एजेंसियां दुबई से लौटने के बाद शर्मा और उसके परिवार से भी पूछताछ करेगी ।
सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई गुरुवार सुबह शुरू की गई थी, तब से अभी तक बरामदगी का सिलसिला जारी है। गुरुवार रात ही भोपाल के एक सुनसान इलाके से एक लावारिस इनोवा कार को बरामद किया गया जिसमें 52 किलो सोना और 9.86 कैश रखा हुआ था। सूत्रों के मुताबिक इसमें एक डायरी भी मिली है जिसमें सालाना करीब 100 करोड़ रुपए के लेनदेन का ब्योरा दर्ज है। जिस कार से यह माल बरामद किया गया वह चेतन सिंह गौर के नाम से ही रजिस्टर्ड है। सौरभ और चेतन दोनों मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं और कारोबारी दोस्त बताए जा रहे हैं। एक साल पहले वीआरएस लेने के बाद सौरभ प्रॉपर्टी के कारोबार से भी जुड़ गया था।
अभी यह साफ नहीं है कि क्या इन सभी संपत्ति का असली मालिक सौरभ ही है या फिर कुछ और लोगों की भी इस ‘कालेधन’ में हिस्सेदारी है। सूत्रों का कहना है कि परिवहन विभाग के कुछ बड़े अधिकारी और नेताओं के तार भी इस मामले से जुड़ सकते हैं। भोपाल के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सौरभ शर्मा भले ही एक कांस्टेबल था लेकिन परिवहन विभाग में वह कुछ बड़े ओहदेदारों का करीबी था।